एक सफल एवं कुशल अधिवक्ता के गुणों का वर्णन साथ ही एक अधिवक्ता में क्या विशेषताएँ होनी चाहिए ?

 

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अधिवक्ता की विशेषताएँ

वकालत का व्यवसाय आरंभ से ही बौद्धिक एवं नैतिक व्यवसाय माना जाता रहा है। अधिवक्ताओं को समाज में उचित सम्मान मिलता रहा है। अधिवक्ताओं को न्याय प्रशासन की धुरी माना जाता है क्योंकि अधिवक्ता वादकारियों के मामलों को न्यायालय के माध्यम से निपटाते हैं और वादकारियों के अधिकारों के संरक्षण में सहायता करते हैं। न्याय प्रशासन में अधिवक्ताओं के योगदान को और भी अधिक महत्वपूर्ण बनाया जा सकता है, यदि अधिवक्ता सभी दृष्टि से निपुण एवं कुशल हों।

वकालत में सफलता पाने के लिए ईमानदारी, साहस, परिश्रम, विनोदी, वाक्पटुता, कुशलता, निर्णय और अधिसदस्यता के गुण होने चाहिए। इनके अभाव में अधिवक्ता विधि व्यवसाय में सफलता हासिल नहीं कर सकता।


एक सफल अधिवक्ता में निम्नलिखित प्रमुख विशेषताओं का होना आवश्यक है:-

(1) ईमानदारी (Honesty)

ईमानदारी एक सफल अधिवक्ता का प्रमुख गुण है। अपने व्यवसाय के साथ न्यायालयों एवं पक्षकारों के प्रति ईमानदार होना प्रत्येक अधिवक्ता के लिए बहुत जरूरी है। ईमानदारी के पथ से विचलित होने पर व्यवसाय का पतन होने  लगता है। अतः यह आवश्यक है कि अधिवक्ता किसी भी परिस्थितियों में अपने माग से हटे।

 

(2) कठोर परिश्रम (Hard Work)

अधिवक्ता को परिश्रमी भी होना चाहिए। किसी व्यवसाय, वाणिज्य या व्यापार में यह परिश्रम ही है जो किसी व्यक्ति का भाग्य निर्माण करता है। कठोर एवं नियमित कार्य की क्षमता के बल पर ही मनुष्य इस व्यवसाय में आगे बढ़ सकता है।

 

(3) गहन अध्ययन (In-depth study)

एक अधिवक्ता के लिए विधि का गहन अध्ययन प्रथम तथा महत्वपूर्ण कार्य होगा। यह आवश्यक नहीं है कि उसे सभी विधियों का ज्ञान हो परन्तु उसे किसी विशेष विधि में विशेष जानकारी होनी आवश्यक है ताकि वह उससे सम्बन्धित वाद को तय करा सके अधिवक्ता को नवीनतम् विधि परिवर्तनों के बारे में पूर्ण जानकारी होनी चाहिए ताकि उसे सामाजिक विधि की नवीनतम जानकारी हो सके।


(4) उच्च नैतिकता High morals)

नैतिकता का इस व्यवसाय में बहुत महत्व है। अपने व्यवहार से पक्षकार और न्यायालय का विश्वास अधिवक्ता के लिए व्यावसायिक दृष्टिकोण से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उसे अपने पक्षकार के विश्वास एवं हित को कभी भी जानबूझकर आघात नहीं पहुँचाना चाहिए। एक अधिवक्ता का चरित्र सन्देह से परे होना चाहिए। अतः एक अधिवक्ता के लिए यह आवश्यक है कि वह सत्यनिष्ठ एवं चरित्रवान हो।

 

(5) सरल एवं सौम्य स्वभाव (Simple and Gentle)

अधिवक्ता को अपने स्वभाव में हमेशा सौम्यता एवं सरलता का परिचय देना चाहिए। जो अधिवक्ता जितना शान्त एवं सौम्य होगा, न्यायालय उससे उतना ही प्रभावित होगा।

 

(6) विनोदी एवं वाक्पटुता (Humor and Eloquence)

कभी-कभी विनोदपूर्ण हास्य न्यायालय में बहुत लाभदायक हो जाता है। न्यायालय एवं सहकर्मी अधिवक्ता कभी-कभी लम्बी बहस के दौरान अन्यमनस्कता महसूस करने लगते हैं। ऐसी स्थिति में अधिवक्ता का विनोद एवं वाक्चातुर्ये न्यायाधिकारी को दूसरी दिशा में मोड़ देता है।


(7) अधिसदस्यता (Fellowship)

विधि व्यवसाय के लिए अधिसदस्यता की भावना आवश्यक है। न्यायालय में आयु, योग्यता और अनुभव से परे मानव व्यवहार की समानता होनी चाहिए। जो दो विपक्षियों के लिए अधीवक्ता बहस करते हों; विचारों में विरोधाभास होना स्वाभाविक है किन्तु न्यायालय के बाहर इस व्यवसाय में अधिसदस्यता और बन्धुत्वता बनाये रखना अधिवक्ता का व्यावसायिक कर्त्तव्य है।


(8) अभिव्यक्ति की कला (Art of Expression)

अधिवक्ता में किसी बात को अभिव्यक्त करने की चतुरता होना आवश्यक है। न्यायालय में अपनी बात को सुन्दर भाषा में एवं प्रभावी रूप से अभिव्यक्त करने वाला अधिवक्ता ही सफलता अर्जित कर सकता है।

जिस अधिवक्ता का भाषा पर अधिकार नियन्त्रण होता है वह व्यक्ति उतना ही सम्मान का पात्र समझा जाता है।


(9) मनोवैज्ञानिक के रूप में (As a psychologist)

एक अधिवक्ता को मानव मनोविज्ञान जानना अतिआवश्यक है। पक्षकार तथा न्यायाधिकारी दोनों के समक्ष ही उसे उनके मानसिक व्यवहार को समझना और फिर उसी के अनुरूप अपना रास्ता निर्धारित करना होता है। इसी प्रकार साक्षियों की सामाजिक, राजनैतिक तथा आर्थिक स्थिति की जानकारी करके उसके अनुसार ही प्रश्न किया जाना चाहिए।


(10) साहस (courage)

साहस अधिवक्ता का प्रमुख गुण है। साहस का तात्पर्य अपने पक्षकार की बात को न्यायालय के समक्ष निडरता एवं निर्भीकतापूर्वक प्रस्तुत करना है तथा सम और विषम परिस्थितियों में धैर्य बनाए रखना है। असफलता मिलने पर अधिवक्ता को तो घबराना चाहिए और ही धैर्य खोना चाहिए। बल्कि प्रतिकूल निर्णय होने पर अपील करने की ओर ध्यान देना चाहिए। साहसी अधिवक्ता ही विधिव्यवसाय में सफलता की सीढ़ियाँ तय कर सकता है।

इस प्रकार विधि व्यवसाय में सफलता के लिए अधिवक्ता को उपरोक्त समस्त गुणों को आत्मसात करना चाहिए।

 

“A Lawyer must know everything about something and something about everything." 

A lawyer must live like a hermit and work like a horse."

 

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