अपराध श्रेणी
भारतीय विधि में अपराध श्रेणी
(Crime Category in Indian Law)
भारतीय
विधि
में
अपराधों
का
श्रेणी
अत्यन्त
ही
कठिन
कार्य
है,
क्योंकि
यह
किसी
के
भी
प्रति
हो
सकता
है
और
कैसा
भी
हो
सकता
है।
यह व्यक्ति के विरुद्ध, या संपत्ति के विरुद्ध, या आर्थिक हो सकता है, या राजनीतिक, या लैंगिक या विविध अपराध हो सकता है।
अपराध को दो भागों में बाँटा गया है:-
(1) साधारण अपराध
(2) गम्भीर अपराध
(1) साधारण अपराध:-
इस
अपराध मे मूल रूप से तीन अपराध है:-
(a) असंज्ञेय
अपराध,
(b) समन
मामलों
से
सम्बन्धित
अपराध,
(c) जमानतीय
अपराध
(2) गम्भीर अपराध:-
इस
अपराध मे भी मूल रूप से तीन अपराध है:-
(a)
संज्ञेय
अपराध
(b)
वारण्ट
मामलों
से
सम्बन्धित
अपराध
(c)
अजमानतीय
अपराध
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा
➽ धारा
2 (ठ)
असंज्ञेय
अपराध
➽ धारा
2 (ब)
समन
मामलों
से
सम्बन्धित
अपराध
➽ धारा
2 (क)
जमानतीय
अपराध
➽ धारा
2 (ग)
संज्ञेय
अपराध
➽ धारा
2 (भ)
वारण्ट
मामलों
से
सम्बन्धित
अपराध
(a) असंज्ञेय अपराध
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 2 (ठ) में असंज्ञेय अपराध की परिभाषा दी गयी है। इसके अनुसार "असंज्ञेय अपराध से आशय " ऐसे अपराध से है जिसमें पुलिस अधिकारी अभियुक्त को वारण्ट के बिना गिरफ्तार नहीं कर सकता है।
(b) समन मामलों से सम्बन्धित अपराध
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 2 (ब) में समन मामलों से सम्बन्धित अपराध की परिभाषा दी गयी है। इसके अनुसार "समन मामले से आशय" ऐसे मामले से है जो किसी ऐसे अपराध से सम्बन्धित होता है जो कि वारण्ट मामला नहीं है।
(c) जमानतीय अपराध
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 2 (क) में जमानतीय अपराध की परिभाषा दी गयी है। इसके अनुसार जमानतीय अपराध साधारणतया सामान्य प्रकति के अपराध होते हैं। ऐसे अपराधों में अभियुक्त को जमानत पर छूटने का अधिकार होता है।
साथ ही,
(i) जो प्रथम अनुसूची में जमानतीय अपराध के रूप में दिखाया गया हो, या
(ii) जो किसी विधि द्वारा जमानतीय बनाया गया हो, और
(iii) जो अजमानतीय अपराध से भिन्न अन्य कोई अपराध हो।
(a) संज्ञेय अपराध
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 2 (ग) में संज्ञेय अपराध की परिभाषा दी गयी है। इसके अनुसार संज्ञेय अपराध से आशय ऐसे अपराध से है जिसमें पुलिस अधिकारी अभियुक्त को वारण्ट के बिना गिरफ्तार कर सकता है।
(b) वारण्ट मामलों से सम्बन्धित अपराध
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 2 (भ) में वारण्ट मामलों से सम्बन्धित अपराध की परिभाषा दी गयी है। इसके अनुसार “वारण्ट मामलों से सम्बन्धित अपराध से आशय ऐसे” अपराध से है जिसमें अभियुक्त को दो वर्ष से अधिक की अवधि का कारावास या आजीवन कारावास या मृत्यु दण्ड दिया जा सकता है।
(c) अजमानतीय अपराध
भारतीय
विधि
में
अजमानतीय
अपराध
की
परिभाषा
नहीं
की
गयी
है,
अतः
ऐसे
अपराध
जो
अजमानतीय
न
हों,
अजमानतीय
अपराध
मान
लिए
जाते
हैं।
अजमानतीय
अपराध
साधारणतया
गम्भीर
एवं
संगीन
प्रकति
के
अपराध
होते
हैं।
ऐसे
अपराधों
में
अभियुक्त
को
जमानत
पर
छूटने
का
आधकार
नहीं
होता
है।
यह
न्यायालय
की
विवेकाधीन
शक्तियों
पर
निर्भर
करता
है।
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