पारा विधिक स्वयं सेवक
➽ पैरा-लीगल सर्विसेज क्या है?
➽ पैरा-लीगल सर्विसेज किसके द्वारा किया जाता है?
➽ पैरा-लीगल सर्विसेज का माध्यम क्या है?
➽ पारा विधिक स्वयं सेवक क्या है?
➽ पारा विधिक स्वयं सेवक के लिए कौन आवेदन दे सकता है?
➽ पारा विधिक स्वयं सेवक के कार्य क्या है?
➽ पारा विधिक स्वयं सेवक का शैक्षणिक योग्यता क्या है?
➽ पारा विधिक स्वयं सेवक को कितना मानदेय मिलता है?
सबसे पहले समझते है, पैरा-लीगल सर्विसेज क्या है?
पैरा-लीगल सर्विसेज विधिक सहायता का ही दूसरा रूप है। वर्तमान के परिवर्तनीय परिवेश में पैरा-लीगल सर्विसेज दिन प्रतिदिन लोकप्रियता अर्जित कर रही है। इसके बिना विधिक सहायता अपंग मानी जाती है। इसका प्रमुख लक्ष्य है।
01. वर्तमान में विधिक सहायता प्राप्त करने हेतु विधि एवं काम के प्रति चेतना जागृत करना।
02. पैरा-लीगल सर्विसेज का यह दायित्व है की जनमानस को विधि के क्षेत्र में प्रशिक्षित करें अर्थात पूरे जन सामान्य को विधि का उचित ज्ञान कराये।
03. इसका एक लक्ष्य यह भी है की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक रूप से पीड़ित व्यक्तियों को निशुल्क कानूनी सलाह प्रदान करें।
04. पैरा-लीगल सर्विसेज का यह मुख्य लक्ष्य है की लोकहित वादों के माध्यम से निर्धन व्यक्ति की पीड़ा व व्यथा का निवारण करे।
05. पैरा-लीगल सर्विसेज लोक अदालत के आयोजन के बारे में जनसामान्य में प्रचार-प्रसार करेगा जिससे उत्पीड़ित व्यक्ति अपने मामले को लोक अदालत में सुनवाई के लिए हस्तांतरित करा सके।
पैरा-लीगल सर्विसेज किसके द्वारा किया जाता है?
पैरा-लीगल सर्विसेज अधिवक्ताओं के द्वारा किया जाता है।
पैरा-लीगल सर्विसेज का माध्यम क्या है?
पैरा-लीगल सर्विसेज का माध्यम है:-
➤ पैरा-लीगल क्लीनिक
➤ पैरा-लीगल ट्रेनिंग
➤ विधिक प्रयोगशाला
➤ विधिक सहायता शिविर
➤ पैरा-लीगल क्लीनिक
जिस प्रकार एक डॉक्टर क्लीनिक पर मरीज का इलाज करता है, उसी प्रकार पैरा-लीगल क्लीनिक पर शोषित व्यक्तियों का संचालन सरकारी एवं स्वैच्छिक संगठनों के द्वारा किया जाता है। पैरा-लीगल क्लीनिक पर कानूनी राय एवं सहायता उपलब्ध कराने के लिए हर समय विधि विशेषज्ञों की सेवाएं उपलब्ध रहती है।
पैरा-लीगल क्लीनिक एक ऐसा केंद्र है, जहां समाज के कमजोर वर्ग को प्रशिक्षित विधि व्यवसाय द्वारा निशुल्क अथवा नाम मात्र के शुल्क पर विधिक सहायता दी जाती है।
➤ पैरा-लीगल ट्रेनिंग
पैरा-लीगल ट्रेनिंग का अभिप्राय जरूरतमंद व्यक्तियों को विधिक सहायता की शिक्षा प्रदान करने से है। इस प्रशिक्षण में जनसामान्य को भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारियों, कर्तव्य तथा दायित्वों का ज्ञान कराया जाता है। साथ ही इनके हनन, अतिक्रमण तथा उल्लंघन होने पर इसके संरक्षण हेतु विधि व्यवस्था की पूर्ण जानकारी कराना ही पैरा-लीगल ट्रेनिंग है।
पैरा-लीगल ट्रेनिंग के अंतर्गत जनसाधारण में विधिक चेतना जागृत करने के लिए लघु पुस्तकों का प्रकाशन तथा दूरदर्शन जैसे प्रचार सामग्री का प्रयोग भी किया जाता है।
➤ विधिक प्रयोगशाला
विधिक प्रयोगशाला पैरा-लीगल क्लीनिक का ही एक रूप है, सिर्फ अंतर इतना है कि पैरा लीगल क्लीनिक में विधिक उपचार का प्रावधान है, जब की विधिक प्रयोगशाला में प्रशिक्षण का मनोनयन करके व्यक्ति के उपचार का तरीका खोजा जाता है कि अमुक पीड़ित व्यक्ति को किस प्रकार का उपचार उपलब्ध कराया जाए। जैसे:-
मौलिक अधिकारों के हनन पर उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने की सलाह देना, यदि सरकार के किसी कानून या कार्य द्वारा जनसामान्य का हित नष्ट हो रहा हो या कम हो रहा हो, तो लोकहित वाद प्रस्तुत करने की सलाह देना, यदि कोई स्त्री (Lady) भरण पोषण का भत्ता चाहती है तो दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के अंतर्गत वाद न्यायालय में प्रेषित करने की सलाह देना, यदि दहेज उत्पीड़न का मामला है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 498-A के अंतर्गत ससुराल वालों के खिलाफ केस प्रस्तुत करने की सलाह देना।
➤ विधिक सहायता शिविर
विधिक सहायता मिशन को सच्चे अर्थों में सफल बनाने तथा निर्धनों व निरीक्षरो को विधिक सलाह मशवरा प्रदान करने के लिए सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों व निर्धन बस्तियों में जो विधिक कैंप लगाए जाते हैं उन्हें विधिक सहायता शिविर कहते हैं।
➤ पारा विधिक स्वयं सेवक क्या है?
➤ कौन आवेदन दे सकता है?
ऐसे व्यक्ति (महिला /पुरुष) जो बिना किसी आर्थिक लाभ के कमजोर एवं वंचित वर्गों के उत्थान में रूचि रखते है तथा उनके लिए कार्य करना चाहते है इनमे शिक्षक (सेवा निवृत शिक्षक सहित),सेवा निवृत सरकारी सेवक, वरिष्ठ नागरिक आगनबाड़ी कार्यकर्ता, डॉक्टर, छात्र, गैर सरकारी संगठन एवं क्लब के सदस्य स्वयं सेवा सनहू, मैत्री समूह, जीविका आदि के सदस्य एवं अन्य व्यक्ति (अधिवक्ता को छोड़कर) जो स्वयं सेवा में रूचि रखते हो तथा जिन्हें विधिक सेवा प्राधिकार ठीक समझे।
➤ पारा विधिक स्वयं सेवक के कार्य क्या है?
पारा विधिक स्वयं सेवकों को अपने क्षेत्र में विधिक जागरूकता, विधिक सहायता के लिए पीड़ितो एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकार के बीच सेतु का कार्य, प्राधिकार के प्रबंध कार्यालय एवं विधिक सहायता केन्द्र में विधिक सेवा कार्य या अन्य कोई कार्य जो जिला विधिक सेवा प्राधिकार उन्हें सौंपे।
शैक्षणिक योग्यता:- मैट्रिक पास
मानदेय:- रु0 500 (पांच सो)- प्रतिदिन । परन्तु यह मानदेय केवल उन विशेष दिनों के लिए देय होगा जिस दिन विधिक सेवा प्राधिकार उन्हें विशेष कार्य हेतु सौंपती है।
*********



Comments
Post a Comment