Advocate Chamber Practice


Advocate-Chamber-Practice-LAW-AND-BANKING-WITH-RAKESH

एडवोकेट चैंबर प्रैक्टिस

विधि  व्यवसाय  अर्थात वकालत एकमात्र ऐसा व्यवसाय है  जिसमें अधिवक्ता को अपना पूरा समय दिमाग खर्च करना पड़ता है।  सुबह-शाम अपने चेंबर में बैठकर  वादकारियों (Plaintiffs) के मुकदमे की  पत्रावलियों का अध्ययन करनावाद पत्रलिखित कथनशपथ पत्रअपीलरिवीजनयाचिकाप्रार्थना पत्र,   आदि   तैयार करनावादकारियों  से बातचीत कर के मुकदमों की बहस के लिए  तैयारी करनादिनभर न्यायालय परिसर में  विभिन्न न्यायालयों  मैं भाग दौड़ करके वादकारियों के मुकदमों में अभिवचन, प्रार्थना पत्र  आदि दाखिल करनाबहस करनातारीख लेना  आदि बहुत सारे कार्यों में अधिवक्ता को व्यस्त रहना पड़ता है।  वकालत के व्यवसाय में  अत्यधिक परिश्रम और  जनसंपर्क की भी आवश्यकता होती है।  संपर्कों के अभाव में वकालत के व्यवसाय की सफलता संदिग्ध होती है।

 

आरम्भ  में नए अधिवक्ता को  आर्थिक रुप से इतना कम प्राप्त होता है कि उसके अपने खर्चे कर पाना भी बहुत कठिन होता है।  ऐसी दशा में  अनेक  नए अधिवक्ता  या  तो  वकालत के व्यवसाय को छोड़ कर चले जाते हैं  अथवा किसी वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ जुड़कर उसके चेंबर में प्रैक्टिस करते हुए विधि में कानून का ज्ञान हासिल करते हैं. इसके अलावा अनुभवी और वरिष्ठ अधिवक्ता  अथवा   सेवानिवृत्त न्यायाधीश  जो न्यायालयों में जाकर वकालत नहीं करना चाहते हैं,  अपने घर पर या ऑफिस में बैठकर  कानून से संबंधित परामर्श देते हैं।  चेंबर प्रेक्टिस की व्यवस्था  मुंबई,  कोलकाता, मद्रास, दिल्ली  आदि बड़े बड़े नगरों में लोकप्रिय है। 


अधिवक्ता द्वारा  न्यायालयों  में जाकर वकालत करके अपने घर या कार्यालय में बैठे  वादकारियों को उनकी कानूनी मामलों में उचित परामर्श देना ही चेंबर प्रैक्टिस कहलाता है।  चेंबर प्रैक्टिस में  न्यायालयों के चक्कर  लगाए बिना  ही विधि का व्यवहारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया जा सकता है।  चेंबर प्रैक्टिस  करने वाले अधिवक्ता से वादकारियों ही नहीं  बल्कि अधिवक्ता और न्यायिक अधिकारी भी  समय-समय पर परामर्श लेते रहते हैं। 

 

चुकी चेंबर प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता के पास नवीनतम विधि साहित्य होता है और वे  न्यायालयों  में अपने चेंबर में ही रहकर विधि का गहन अध्ययन करते हैं।   अतः विधि के तकनीकी बिंदुओं को भी आसानी से समझ सकते हैं। 

चेंबर प्रैक्टिस द्वारा विधि का व्यवहारिक प्रशिक्षण देने के लाभ


चेंबर प्रैक्टिस द्वारा  विधि का व्यवहारिक प्रशिक्षण  देना एक सुगम तरीका है।  इस तकनीकी की सहायता से चेंबर प्रेक्टिस करने वाला अधिवक्ता  प्रशिक्षकों  (Trainers) को विधि की लागू होने वाली प्रक्रिया को सही रूप से समझा जा सकता है और विधि के क्षेत्र में उसे व्यवहारिक पक्ष का ज्ञान करा सकता है। चेंबर प्रैक्टिस  द्वारा व्यवहारिक प्रशिक्षण दिए जाने के प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं -----

 

1. चेंबर प्रैक्टिस में  चुकी अधिवक्ता  न्यायालयों  में जाए बिना  अपने घर या कार्यालय में वकालत करते हुए  वादकारियों को परामर्श देता है  अतः उसी विधि  एवं  विधि प्रक्रिया का पर्याप्त अनुभव हो जाता है और इसी अनुभव को वह  प्रशिक्षकों के साथ बांटता है।  इस कारण प्रशिक्षकों भी धीरे-धीरे विधि की प्रक्रिया को समझ जाता है।

 

2. चेंबर प्रैक्टिस के द्वारा विधि का व्यवहारिक प्रशिक्षण देने में अधिवक्ता का समय व्यर्थ नहीं जाता है और वह अपने चेंबर में ही अधिक समय देकर प्रशिक्षकों को विधि में निपुण बना देता है।

 

3. चेंबर प्रैक्टिस  में  अधिवक्ता   प्रशिक्षकों को  पक्ष तथा विपक्ष  द्वारा न्यायालय में   पेश किए जाने वाले  अभी वचनों,  प्रार्थना पत्रों,  साक्ष्यो,  तर्कों,  विधि के सिद्धांत आदि को  स्पष्टता समझा देता है,  जो कि  प्रशिक्षकों के लिए  शैक्षणिक तथा व्यवहारिक  दोनों की दृष्टि से अधिक उपयोगी रहता है। 

 

4. कंपनी विधि,  अंतरराष्ट्रीय विधि,  आयकर विधि,  उत्पादन शुल्क, विधि आदि शाखाओं में  चेंबर प्रैक्टिस अधिक सहायक होते हैं।  इस प्रकार के कानून से  संबंधित मामले  जिला स्तर के  न्यायालयों  में वाद विवाद हेतु नहीं उठाए जा सकते हैं.  फिर  भी  इसका व्यवहारिक महत्व है।  चेंबर प्रैक्टिस द्वारा  इन  कानूनों के शिक्षक  तथा प्रशिक्षण  दोनों का ही  कार्य संभव होता है।

 

5. जो अधिवक्ता  न्यायालय की चालाकी में और चालो से  अपने  को दूर रखते हैं,  वह भी    चेंबर  प्रेक्टिस  करते हैं. चेंबर प्रैक्टिस  के माध्यम से  प्रशिक्षकों और  अधिवक्ता दोनों का समय बचता है  और वे  विधि  व्यवसाय के सिद्धांत    नीतियों के  अनुरूप वादकारियों को  उचित परामर्श देकर  तथा उनके  अभिवचन  तैयार करके प्रतिष्ठा  एवं धन अर्जित कर सकते हैं।   

 

6. नए   विधि  स्नातकों  एवं  प्रशिक्षुओं   के  पास   चुकी  अपनी  विधि   की  लाइब्रेरी  नहीं होती है  और  ना ही  उसके पास इतना  धन होता है  कि   वे   बड़ी लाइब्रेरी  बना सके। ऐसी स्थिति में  नए अधिवक्ता  उन  वरिष्ठ अधिवक्ताओं  के  चेंबर में  बैठकर विधि का  व्यवहारिक ज्ञान  हासिल करते हैं,  जिसके पास  अपनी विशाल  लाइब्रेरी  और  अध्ययन  कानूनी  पुस्तके   निर्णय  पत्रिका  होती है। 

 

7. चैंबर प्रेक्टिस  करने वाला अधिवक्ता  एक साथ तीन कार्य करता है.  प्रथम  वह अधिवक्ता है,  द्वितीय विधि का अध्यापक है  तथा तृतीय न्यायाधीश है।   नए विधि  स्नातक  को एक साथ  तीनों तत्व उपलब्ध हो जाते हैं  जिसका प्रत्यक्ष लाभ विधि स्नातक को मिलता है  और वह अच्छी प्रकार से  विधि का प्रशिक्षण प्राप्त कर सकता है।

 

8. चेंबर प्रैक्टिस द्वारा विधि का  व्यवहारिक प्रशिक्षण देना  तुलनात्मक दृष्टि  से आसान होता है  क्योंकि विधि का कोई प्रश्न  जैसे ही उत्पन्न होता है  संबंधित अधिवक्ता   प्रशिक्षकों  को  विधि  साहित्य के  माध्यम से  उस प्रश्न को पूरी तरह  अस्पष्ट कर देता है। इस प्रकार का  प्रशिक्षण  प्रशिक्षकों (Trainers)  के लिए अत्यंत उपयोगी रहता है  और विधि व्यवसाय में  आने पर उसे  जीवन भर लाभ देता रहता है।  

 

9. न्यायालयों में अक्सर हड़ताले तथा  अनेकों  आदेश प्रक्रिया चलती रहती है,  इसका प्रभाव न्याय प्रणाली पर पड़ता है।  न्यायालयों  ने  विचाराधीन   मुकदमों में  तारीखे मिलते  रहने से   प्रशिक्षकों विधि का व्यवहारिक ज्ञान  सहज  ही  प्राप्त नहीं कर पाता  और  इसके लिए उसे लंबे समय तक  इंतजार करना पड़ता है,  परंतु चेंबर   प्रेक्टिस   में  हड़ताल    अनेकों  आदेश प्रक्रिया  जैसी कोई समस्या सामने नहीं आती।  प्रशिक्षु  वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ  चेंबर में  बैठ कर  नियमित रूप से  विधि एवं उसकी प्रक्रिया का  अध्ययन करता है। 

 

10. विधि व्यवसाय के दौरान  प्रार्थना पत्र,  वाद पत्र,  प्रतिवाद पत्र,  शपथ पत्र,  आदि तैयार  करते समय  हिंदी के   साथ साथ  अनेक  अरबी,  फारसी,  संस्कृत,  उर्दू,  आदि  भाषा के शब्दों का प्रयोग   होता  है,  जिनका ज्ञान  केवल तभी हो सकता है,   जबकि   प्रशिक्षकों नियमित रूप से    चेंबर में  वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ   बैठ कर  उनका अर्थ पता  करें और  उन पर चर्चा  करें.  इस प्रकार का प्रशिक्षण  न्यायालयों में  अथवा  न्यायालय परिसर में कदापि संभव नहीं है। 

 

11. वरिष्ठ अधिवक्ता चुकी   न्यायालय परिसर में   बहुत व्यस्त रहते हैं अतः  उन्हें  वहां इतना समय नहीं मिल पाता  कि  वे  प्रशिक्षकों  को विधि का   व्यवहारिक ज्ञान देते हुए  विधि   न्याय की बारीकियों से  उसे परिचित करा सके  परंतु   चेंबर   प्रेक्टिस में वरिष्ठ अधिवक्ता  पूरा समय देते हुए  प्रशिक्षकों को विधि का   व्यवहारिक प्रशिक्षण  देकर  उसे   योग्य ,  अनुभवी  एवं  विधि क्षेत्र में निपुण बना सकते हैं। 

 

12. चेंबर प्रेक्टिस  में  वरिष्ठ अधिवक्ता  एवं  प्रशिक्षकों  साथ - साथ  कार्य करते हैं।  इसमें  प्रशिक्षकों  में  अपने  वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ साथ   अन्य  साथियों,     न्यायालय  के प्रति  सम्मान  करने की भावना उत्पन्न होती है। 


अंत में,

चेंबर प्रैक्टिस विधि का   व्यावहारिक प्रशिक्षण  प्राप्त करने के लिए  अत्यंत आवश्यक  है   इसके  बिना  प्रशिक्षकों को   विधि  तथा  न्यायिक  निर्णय   का ज्ञान  नहीं हो पाता हैविधि व्यवसाय में   सफलता अर्जित करने के लिए  यह भी आवश्यक है  कि चेंबर प्रेक्टिस  के अलावा   न्यायालयों में जाकर वहां की प्रक्रिया को समझ जाते  क्योंकि  विभिन्न न्यायालयों का व्यवहार  भी  अलग - अलग  होता है  जिसका अनुभव उसी अधिवक्ता को होता है, जो नियमित रूप से न्यायालय जाकर अभिवचन प्रस्तुत करने, साक्ष्य  पेश करने, मामलों में बहस  करने  आदि  विधिक कार्य के  संपादन में  सक्रिय रुप से भाग  लेता है। 


 -------

 

 OTHER POST LINK  


एक सफल एवं कुशल अधिवक्ता के गुणों का वर्णन साथ ही एक अधिवक्ता में क्या विशेषताएँ होनी चाहिए ? 


प्रथम अपील और द्वितीय अपील के सम्बन्ध में सिविल प्रक्रिया संहिता के प्रावधान  


Advocate Chamber Practice 


ADVOCATES PROFESSIONAL MISCONDUCT || अधिवक्ता पेशेवर कदाचार 


HINDU LAW ||  UTTARAKHAND  JUDICIAL SERVICE CIVIL JUDGE (JUNIOR DIVISION) EXAM  ||  HINDI & ENGLISH


UTTARAKHAND  JUDICIAL SERVICE CIVIL JUDGE (JUNIOR DIVISION) EXAM || DEMO MCQs  


पुलिस निरीक्षक द्वारा मुरली बनाम राज्य प्रतिनिधि || पुलिस निरीक्षक द्वारा राजावेलु बनाम राज्य प्रतिनिधि 


मध्य प्रदेश सामान्य ज्ञान खण्ड "अ" 


Law Paper Quiz 01 (Hindi)


मौद्रिक नीति हिन्दी और इंग्लिश 


भारतीय दण्ड संहिता, धारा 21 हिन्दी और इंग्लिश   


व्यक्तियों की गिरफ्तारी से जुड़ी धारा 


विधि व्यवसाय और सामान्य व्यवसाय 


पुलिस द्वारा वारंट के बिना गिरफ्तारी


अपराध श्रेणी


लोकहित वाद


दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 धारा144 


पारा विधिक स्वयं सेवक

 

अखिल भारतीय बार परीक्षा


कानून के छात्रों के लिए मूट कोर्ट


वकालत

 


Comments

Popular posts from this blog

कानून के छात्रों के लिए मूट कोर्ट

पारा विधिक स्वयं सेवक

बिहार न्यायिक सेवा मुख्य परीक्षा || अनिवार्य प्रश्न पत्र सामान्य ज्ञान (सामयिक घटनाओं सहित) || सामान्य ज्ञान हल प्रश्न-पत्र

मध्य प्रदेश सामान्य ज्ञान खण्ड "अ"