ADVOCATES PROFESSIONAL MISCONDUCT || अधिवक्ता पेशेवर कदाचार
अधिवक्ताओं का व्यावसायिक दुराचार
PROFESSIONAL MISCONDUCT OF ADVOCATES
अधिवक्ता
द्वारा
विधि
व्यवसाय
की
गरिमा
के
प्रतिकूल
किये
गये
कार्य
तथा
आचरण
को
"व्यावसायिक
दुर्व्यवहार"
कहा
जाता
है।
व्यवसायिक
दुर्व्यवहार
को
समय
एवं
परिस्थितियों
पर
निर्भर
करता
है
कि
अधिवक्ता
का
कौन
सा
कार्य
व्यावसायिक
दुर्व्यवहार
है
और
कौन
सा
नहीं।
किन परिस्थितियों में एक अधिवक्ता के विरुद्ध कार्यवाही की जा सकती है?
➽ जहाँ
वकील
ने
पक्षकार
के
पढ़े-लिखे
न
होने
का
लाभ
उठाकर
उससे
न्यायालय
खर्चे
के
नाम
पर
गलत
रूप
से
पैसा
ले
लिया
तो
व्यावसायिक
दुर्व्यवहार
होगा।
➽ वकील
कार्यवाही
के
दौरान
गवाह
को
रिश्वत
देकर
झूठा
शपथ-पत्र
देने
को
कहें तथा
अन्य
गवाहों
को
भी
बिगाड़े
तो
व्यावसायिक
दुर्व्यवहार
होगा।
➽ वकील
द्वारा
उत्तराधिकार
प्रमाण-पत्र
के
लिये
सिर्फ
लड़की
की
तरफ
से
प्रार्थना-पत्र
देना,
जबकि
वह
जानता
था
कि
मृतक
की
बेबा
भी
जिन्दा
हैं
तथा
बेवा
व
लड़की
का
ही
हक
समान
जायदाद
में
है,
दुर्व्यवहार
की
परिभाषा
में
आता
है।
➽ जब
वकील
वकालतनामा
साधारण
प्रारूप
में
स्वीकार
कर
ले
तो
उसे
प्रत्येक पैरवी
पर
न्यायालय
में
उपस्थित
होना
चाहिए
मेहनताना
न
मिलने
पर
न
जाना
उचति
नहीं
है।
➽ वकील
का
दुर्व्यवहार
माना
गया
जब
पूरी
फीस
लेकर
भी
जान
बूझकर
गलती
कर
उपस्थित
नहीं
हुआ
व
पैरवी
नहीं
की।
➽ यदि
वकील
पक्षकार
का
प्रकरण
बीच
में
ही
छोड़
दे
तो
दुर्व्यवहार
है।
➽ वकील
के
लिए
अन्य
व्यापार
करना
व्यावसायिक
दुर्व्यवहार
माना
गया
है।
➽ वकील
बिना
इजाजत
अध्यापन
कार्य
करे,
तो
दुर्व्यवहार
होगा।
➽ वकील
पैम्पलेट
बाँटे
कि
जनसेवा
अधिकारियों
को
इस्तीफा
दे
देना
चाहिए,
तो
दुर्व्यवहार
होगा।
➽ एडवोकेट
जज
को
रिश्वत
देने
की
कोशिश
करे,
जिससे
मुकदमा
पक्षकार
के
हित
में
हो तो
गम्भीर
दुर्व्यवहार
है।
➽ वकील
द्वारा
जज
के
रिश्तेदार
के
जरिये
प्रभाव
डलवाना
व्यावसायिक
दुर्व्यवहार
है।
➽ मजिस्ट्रेट
के
लिपिक
को
पत्र
लिखना
कि
वह
प्रार्थना-पत्र
को
शीघ्रता
से
निपटवाये,
व्यावसायिक
दुर्व्यवहार
है।
➽ वकील
यदि
स्वयं
के
तथा
अपने
पुत्र
के
नाम
में,
व्यापार,
रुपया
उधार
देने
का
कार्य
करे
तो
दुर्व्यवहार
है।
➽ वकील राजस्व लिपिक के विरुद्ध चल रही जाँच में, जाँच अधिकारी को गुमनाम पत्र लिखकर उसे प्रभावित करने की चेष्टा करे,तो व्यावसायिक दुर्व्यवहार है।
➽ फीस
का
हिसाब
न
रखना
वकील
की
बेईमानी
है
तथा
गम्भीर
कार्यवाही
होनी
चाहिए।
➽ वकील
के
पास
ज्यादा
कार्य
न
भी
हो,
तब
भी
हिसाब
न
रखना
व्यावसायिक
दुर्व्यवहार
है।
➽ पक्षकार
से
रुपया
थानेदार
को
रिश्वत
देने
के
लिए
ले,
ताकि
जमानत
हो
सके
तो
व्यावसायिक
दुर्व्यवहार
है।
➽ वकील
द्वारा
प्रस्ताव
कि
पक्षकार
कार्यालय
लिपिक
को
रिश्वत
दे,
तो
व्यावसायिक
दुर्व्यवहार
है।
➽ वकील द्वारा पक्षकार से, राजकीय कर्मचारियों को रिश्वत देने के लिए, रुपया मांगना व्यावसायिक दुर्व्यवहार है
➽ वकील जो बेईमानी तौर पर जायदाद खरीद कर, उसके विषय में वाद पर स्वयं बतौर वकील उपस्थित हो व न्यायालय में फीस लेना दिखाये, तो गम्भीर दुर्व्यवहार का दोषी है, क्योंकि जायदाद उसकी स्वयं की है।
➽ गवाह को धमकाना गम्भीर दुर्व्यवहार है। गवाह को वकील द्वारा धमकी देना भी दुर्व्यवहार माना गया है।
➽ वकील
यदि
मुकदमा
लाने
वाले
को
फीस
में
से
भाग
दे,
तो
दुर्व्यवहार
हैं,
परन्तु
यदि
पक्षकार
स्वयं
रुपया
दे
तो
न
होगा।
➽ हाई
कोर्ट
वकील
दूसरे
न्यायालय
के
वकील
को
मुकदमा
भेजने
को
व
फीस
में
हिस्सा
लेने
को
कहे,तो
दुर्व्यवहार
है
➽ वकील
ने
पक्षकार
को
विश्वास
दिलाया
कि
यदि
उसको
पंच
बना
दिया
जाये
तो
वह
पक्षकार
के
हित
में
निर्णय
कर
देगा,
तो
दुर्यवहार
माना
गया।
➽ वकील
द्वारा
साम्प्रदायिक
भाषण
दुर्व्यवहार
माना
गया
है।
➽ यदि
पक्षकार
ने
न्यायिक
अधिकारी
के
विरुद्ध
झूठा
बयान दिया
हो,
तो
वकील
तभी
जिम्मेवार
होगा,जब
उसने
परिस्थितियों
की
पूरी
जाँच
किये
बिना
ही,
बयान करवा
दिया
हो।
➽ एक-दूसरे
से
कागजात
छीनना
तथा
न्यायालय
में
खड़े
होकर
लड़ना,
व्यवसाय
के
लिए
बहुत
बड़ा
दुर्व्यवहार
है।
➽ वकील
जो
दो
परस्पर
विरोधी
बयान
दे,
व्यावसायिक
दुर्व्यवहार
का
गम्भीर
रूप
से
दोषी
है।
➽ पक्षकार
की
सहायता
करने
के
लिए
झूठ
बोलना
दुर्व्यवहार
है।
➽ पक्षकार
को
झूठी
सूचना
देना
वकील
का
दुर्व्यवहार
है।
➽ किसी
व्यक्ति
की
गलत
पहचान
करना
व्यावसायिक
अपराध
भी
है
तथा
दाण्डिक
अपराध
भी
है।
➽ यदि
वकील
को
ऐसे
दाण्डिक
अपराध
पर
दोषसिद्धि
किया
गया
जो
उसके
चरित्र
में
दोष
ऐसा
बताता
है
कि
वह
बतौर
वकील
कार्य
करने
के
अयोग्य
हो
जाये,
तो
उसे
निलम्बित
किया
जा
सकता
है।
➽ वकील
अपने
लिखे
कागजात
में
गलत
बयान
करे
तो
व्यावसायिक
अपराध
होगा।
➽ यदि
वकील
फीस
की फर्जी
प्रमाण-पत्र
प्रस्तुत
करे
तो
सख्त
कार्यवाही
होगी।
➽ वकील
द्वारा
अपने
पक्षकार
के
प्रतिनिधित्व
का
इन्तजाम
न
करना
सिर्फ
असावधानी
ही
नहीं
बल्कि
व्यावसायिक
दुवर्यवहार
माना
गया।
व्यावसायिक दुर्व्यवहार में दोषसिद्धि अधिवक्ता को सजा और जुर्माना क्या है?
➽ अधिवक्ता
अधिनियम,
1961 की
धारा
35 में
दिये
गये
प्रावधानों
के
तहत
किसी
अधिवक्ता
को
व्यावसायिक
दुराचरण
के
लिए
दण्डित
किया
जा
सकता
है।
➽ व्यावसायिक
दुराचरण
का
मामला
अधिवक्ता
अधिनियम,
1961 के
साथ-साथ
न्यायालय
अवमानना
अधिनियम,
1971 के
अन्तर्गत
दण्डनीय
है।
➽ व्यावसायिक
दुराचरण
में
दोषसिद्ध
अधिवक्ता
को
वकालत
करने
से
वंचित
किया
जा
सकता
है
तथा
उसे
छह
माह
तक
की
अवधि
के
कारावास
अथवा
दो
हजार
रुपये
जुर्माना
अथवा
दोनों
से
भी
दण्डित
किया
जा
सकता
है।
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